मैं करता रहा अपनाने की कोशिश,
वो करते रहे आज़माने की कोशिश…
ये दुनिया है या कोई बियाबान है?
हर तरफ निर्बलों को दबाने की कोशिश…
खुद अपने को हम सुन ना पाए कभी,
फिर भी दुनिया को हर दम सुनाने की कोशिश…
ये शऊर दुनिया में कहाँ से है आया,
हर तरफ रिश्तों को भुनाने की कोशिश…
हर महफिल में जाते लगाकर मुखौटा,
खुद के सच को हमेशा छिपाने की कोशिश…
इस अज़ब रेस में आ गया कहाँ से?
यहाँ दौड़ने से ज्यादा गिराने की कोशिश…
बस ख़यालों में मेरे बसा एक तू ही,
हर पल तेरी मूरत बनाने की कोशिश…।
No comments:
Post a Comment